टाईटलर द्वारा जी.के. के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करवाने के बाद कमेटी हुई हमलावर

संवाददाता (दिल्ली) :- कांग्रेसी नेता जगदीश टाईटलर द्वारा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के. व अन्य के खिलाफ कापसहेड़ा थाने में मानहानि का मुकद्दमा कोर्ट के आदेश पर दर्ज करवाने के बाद कमेटी की प्रतिक्रिया सामने आई है। जी.के. ने आज गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में पत्रकारों से बातचीत करते हुए साफ कहा कि ऐसी गीदड़ भभकियों से अकाली दल न कभी डरा है और न ही डरेगा। पहली बार एक अपराधी किस्म का व्यक्ति सच सामने लाने वालों को कानूनी तरीके से भयभीत करने के लिए प्रपंच रच रहा है। पर उसकी धुर्त चालों का बाखूबी जवाब देने के लिए हम तैयार हैं।
जी.के. ने कहा कि टाईटलर व सज्जन कुमार के खिलाफ लड़ाई के अंजाम तक पहुँचने तक संघर्ष जारी रहेगा। ऐसी एफ.आई.आर. हमारा मार्ग नहीं रोक सकती। टाईटलर के खिलाफ हमारे द्वारा दी गई शिकायतो पर सी.बी.आई. तथा कड़कड़डूमा कोर्ट जांच कर रही है। जी.के. ने टाईटलर को अपने खिलाफ बड़ी धाराओं में केस दर्ज करवाने की चुनौती देते हुए कहा कि टाईटलर को उसकी चाल में ही हम फंसायेंगे। कांग्रेस सरकार की तर्ज पर भाजपा सरकार के चलने का दावा करते हुए जी.के. ने कहा कि बेशक हमारी गठबंधन सरकार है परन्तु सारे सबूत होने के बावजूद टाईटलर के खिलाफ 6 महीने बाद भी एफ.आई.आर. दर्ज न होना बड़े सवाल खड़े करता है। जी.के. ने एक सवाल के जवाब में साफ कहा कि हमारे लिये भाजपा के साथ गठबंधन से जरूरी इन्साफ प्राप्ति है।
जी.के. ने 1984 कत्लेआम को गुजरात दंगों से जोड़ते हुए कहा कि अगर 1984 का इन्साफ मिल जाता तो गोधरा कांड न होता। जी.के. ने ऐलान किया कि टाईटलर के खिलाफ की गई प्रैस कांफ्रैंस में मेरा सहयोग करने वाली मेरी सारी टीम जेल जाने को तैयार है। न हम माफी मांगेंगे, न भगौड़े होंगे और न ही जमानत लेंगे। हम देश की कानून व्यवस्था को बताऐंगे कि सैंकड़ों सिखों का मारने का कबूलनामा करने वाला कथित कातिल बाहर बैठा है। पर हम इन्साफ की लड़ाई लड़ने वाले जेल के अंदर है। इस संबंध में जी.के. ने वरिष्ठ नेता अवतार सिंह हित, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरमीत सिंह कालका, धर्मप्रचार कमेटी चेयरमैन परमजीत सिंह राणा, कानूनी सलाहकार जसविन्दर सिंह जौली, मीडिया सलाहकार परमिन्दर पाल सिंह, अकाली नेता जसवंत सिंह बिट्टू, सतबीर सिंह गगन तथा पुनप्रीत सिंह का बाकायदा नाम लिया। जी.के. ने सवाल किया कि अगर टाईटलर स्वयं को निर्दोष समझता है तो वह अभिषेक वर्मा की तरह लाई डिटैक्टर टैस्ट क्यां नहीं करवाता ? क्यां उसके वकील अदालत में टाईटलर द्वारा टैस्ट करवाने से इनकार करते हैं ?
क्या है मामला…दरअसल जी.के. ने 5 फरवरी 2018 को प्रैस कांफ्रेंस करके टाईटलर के 8 दिसम्बर 2011 के 5 वीडियां जारी किये थे। जिसमें टाईटलर 100 सिखों का कत्ल करने, दिल्ली हाईकोर्ट में पाठक दम्पति को जज नियुक्त करवाने तथा 150 करोड़ के काले धन के बारे बात करते हुए अपने बेटे की कम्पनी का स्विस बैंक में खाता होने का हवाला दे रहा था। परन्तु दिल्ली कमेटी द्वारा इन विडियो को जारी करने के बाद टाईटलर ने जी.के. तथा अकाली सांसदो को मानहानि का नोटिस भेजते हुए इन विडियो की सत्यता पर सवाल उठाया था। जिसके बाद जी.के. ने टाईटलर द्वारा लेटर हैड पर राष्ट्रीय चिन्ह के दुरप्रयोग के खिलाफ कापसहेड़ा थानें में 16 मार्च 2018 को शिकायत दी थी। जिस पर दिल्ली पुलिस ने कार्यवाही करते हुए टाईटलर के खिलाफ 10 मई 2018 को राष्ट्रीय चिन्ह के मामले में एफ.आई.आर. दर्ज कर दी थी।
इस बीच 23 मार्च 2018 शाम को जी.के. के घर पर एक बार फिर लिफाफा आता है जिसमें पुरानी 5 वीडियों में टाईटलर से बात करते हुए नजर आ रहे धुंधले चेहरे की जगह साफ वीडियों ंतथा उस व्यक्ति का नाम तथा मोबाईल नम्बर पत्र में लिखा होता है। 24 मार्च को सुबह जी.के. अमुक व्यक्ति राविन्दर सिंह चौहान से बातचीत करके वीडियों में नजर आ रहे चेहरे के बारे में जानकारी प्राप्त करके चौहान को मिलने के लिए कमेटी दफ्तर बुलाते हैं। जहां आकर चौहान इन वीडियों की सत्यता की पुष्टि करता हुआ जरूरत पड़ने पर अपनी गवाही कोर्ट में रखने की पेशकश करता है। जिसके बाद 26 मार्च को जी.के. एक बार फिर 5 वीडियों दोबारा से मीडिया के सामने रखते है। अब इन्हीं वीडियां से छेड़छाड़ का आरोप लगाकर टाईटलर ने 3 अगस्त को कापसहेड़ा थाने में जी.के. तथा अन्य के खिलाफ धारा 469/34 के तहत एफ.आर.आई. दर्ज करायी है

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