CHHATISGARH - विशेष अदालत से पांचों आरोपियों को बाईज्जत बरी किए जाने के मामले में सीबीआई हाईकोर्ट में अपील करने की तैयारी में…

SUNIL SHARMA :- एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र की आमगांव ओपन परियोजना में करोड़ों रुपए लागत के करीब 31 हजार 211 टन कोयला घोटाले के मामले में बीते माह सीबीआई की रायपुर स्थित विशेष अदालत द्वारा एक साल से जेल में बंद मामले के आरोपी महाप्रबंधक सहित सभी 5 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिए जाने के मामले में सीबीआई ने उच्च न्यायालय में विशेष अदालत के फैसले के विरुद्ध अपील पर जाने की तैयारी प्रारंभ कर दी है। इस आशय की पुष्टि सीबीआई नई दिल्ली के प्रवक्ता ए के गौर ने भी की है
 
गौरतलब है कि एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र की आमगांव ओपन कास्ट परियोजना में हुए करोड़ों रूपये लागत के कोयला घोटाले को विशेष अदालत में साबित करने में सीबीआई की नाकामी के कारण उक्त मामले में एक वर्ष से सेंट्रल जेल रायपुर में बंद एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र के तत्कालीन महाप्रबंधक एसके रानू सहित पांचों आरोपियों को बीते माह सीबीआई की विशेष अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बाईज्जत बरी कर दिया है।
मामला एसईसीएल विश्रामपुर क्षेत्र का था। बिश्रामपुर क्षेत्र की आमगांव ओपन कास्ट परियोजना के कॉल स्टॉक में वर्ष 2012-13 में 31211 टन कोयला कम होने का हाई प्रोफाइल मामला प्रकाश में आया था। सीबीआई का यह पहला मामला था, जिसमें अंडर कस्टडी ट्रायल चला और चालान पेश करने के एक साल के भीतर अदालत ने फैसला सुना दिया।
सभी आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बाइज्जत बरी करते हुए सीबीआई की विशेष अदालत ने कहा था कि प्रकरण में साक्षियों की संख्या नहीं साक्ष्य की विशेषता महत्वपूर्ण होती है। अभियोजन ने ज्यादा गवाह पेश कर न्यायालय का समय व्यर्थ किया है।
कोल माइंस का यह दूसरा प्रकरण है। जिसमें सीबीआई फेल हुई है। बीते कुछ वर्षों में सीबीआई भ्रष्टाचार के दस से ज्यादा महत्वपूर्ण प्रकरणों में अपराध को साबित करने में असफल रहा है। जिससे देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा होने लगा है।
ये था पूरा मामला,,,,
सीबीआई ने वर्ष 2014 में 6 से 8 अगस्त के बीच एसईसीएल विश्रामपुर क्षेत्र की आमगांव ओपन कास्ट परियोजना में दबिश देकर में कोयला स्टॉक की सरप्राइज चेकिंग की थी। इस दौरान कोल स्टॉक का मेजरमेंट करने पर 31 हजार 211 टन कोयले की कमी पाई गई थी। सीबीआई ने कहा था कि मामले में दोषी आरोपियों ने ट्रांसपोर्टर्स के साथ षडय़ंत्र कर हजारों टन कोयला की हेराफेरी की है। 11 जनवरी से 23 जनवरी 2014 के बीच फर्जी ट्रिप कार्ड के आधार पर अनाधिकृत ट्रांसपोर्टिंग के माध्यम से अभियुक्तों ने अधिक उत्पादन दर्शाया है। इस तरह कोयला शार्टेज को पूरा किया गया था।
इस कोयला घोटाले के मामले में 17 नवंबर 2014 को सीबीआई ने एसईसीएल के जीएम सहित 5 लोगों के खिलाफ भादसं की धारा 409 सहपठित 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(2) सहपठित 13(1)(ग) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया था। कोयला हेराफेरी का यह मामला सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश पंकज कुमार जैन की अदालत में चला था।
सीबीआई ने अपने समर्थन में 60 गवाह पेश किये थे। लेकिन कोई भी गवाही अदालत में ये साबित नहीं कर सकी थी कि कोयले की हेराफेरी हुई है। लिहाजा अदालत ने बीते माह एसईसीएल के तत्कालीन जीएम संतोष कुमार रानू 58 वर्ष, सब एरिया मैनेजर रामबहोरी शुक्ला 57 वर्ष, कालरी मैनेजर अजय कुमार सिंह 49 वर्ष, मैनेजर सुरक्षा आशुतोष जेना 56 वर्ष और डाटा एंट्री आपरेटर सुदर्शन सेठी 49 वर्ष को भ्रष्टाचार के सभी आरोपों से बरी कर दिया था।
सीबीआई अपील करने की तैयारी में,,,,
उक्त हाई प्रोफाइल मामले में साक्ष्य के अभाव में सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिए जाने के बाद सीबीआई की हो रही फजीहत के बीच अब सीबीआई विशेष अदालत के फैसले के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील करने की तैयारी में जुट गई है। सूत्रों की मानें तो मामले में सीबीआई नए सिरे से जांच करने की भी तैयारी में है।
सीबीआई द्वारा मामले में घोटाले को साबित करने दस्तावेजी साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। इस आशय की पुष्टि करते हुए सीबीआई नई दिल्ली के प्रवक्ता एके गौर ने बताया कि मामला गंभीर होने के कारण विभागीय स्तर पर पूरे मामले की समीक्षा की गई है। इस मामले में विशेष अदालत के फैसले के विरुद्ध उच्च न्यायालय अपील करने की तैयारी चल रही है coal-india-logo-684FC6FD65-seeklogo.com.png

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