PROBLEM - बिजली, पानी, परिवहन की समस्याओं से जूझ रहे वनांचलवासी, आने जाने के लिये दुर्गम पहाड़ों को करना पड़ता है पार, घटिया निर्माण कार्य बनते हैं बड़ी परेशानी…
मनेन्द्रगढ़। वनांचल क्षेत्र में रहने वाले लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं। आज भी वनवासी व पहुंचविहीन ईलाके में रहने वाले लोग आवागमन, पीने के पानी, बिजली की समस्या जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। सरकारें आई बदलती गई लेकिन और कुछ नही बदला तो ग्रामीणों के रहन सहन का तरीका। वे आज भी पुराने ढर्रे पर ही गुजर बसर कर रहे हैं। खासकर आने जाने के लिये बदहाली ग्रामीणों को विकास से दूर किये हुये हैं।
जिले में वनांचल क्षेत्र हैं जहां आज भी ऐसे कई ग्रामीण क्षेत्र है जहां रोजमर्रा की मूलभूत सुविधाओं से ग्रामीण अछूता है। केल्हारी क्षेत्र के जंगलों में बसा ग्राम देउरा, शिवपुर, चनवारीडांड, दहियाडांड, बुड़वाडांड सहित दर्जनों ऐसे ग्राम हैं जहां पर रहने वाले ग्रामीणों को आज भी बिजली पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। अगर बात करे इन ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले रहवासियो की तो इनके रोजमर्रा के काम में आने वाली वस्तुओं को खरीदने के लिये कई पहाड़ों एवं नदियों को पार कर जंगल के रास्ते पैदल चलकर शहर आना पड़ता है।
इन वनांचल क्षेत्र में बसे शिवपुर चनवारीडांड के साथ ऐसे और भी कई ग्राम है जहां छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आबंटित किये जाने वाले राशन को लेने के लिये पहाड़ हंसवाही आना पड़ता है। साधन न होने के कारण ग्रामीण कई पहाड़ और नदियां पार कर पैदल अपना राशन लेने आते हंै। कभी-कभी तो इनके सामने संकट उस समय खड़ा हो जाती है जब सुबह से चलकर कई घण्टों के बाद राशन दुकान तक पहुंच पाते हैं। वापसी लेट होने के वजह से उन्हें पहाड़ हसवाही गांव में ही किसी परिचित के यहां रूककर रात बिताना पड़ता है। और फिर सुबह होने के पश्चात अपना राशन लेकर अपने गांव के लिये निकलते हैं।
ग्रामीणों ने अपनी व्यथा बताते हुये कहा कि हम लोगों के गांव में सड़क बिजली पानी की व्यवस्था न होने के कारण कई प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इस वनांचल क्षेत्र में ऐसे कई गांव हैं जहां के निवासी रात के समय अंधेरे में रहने को मजबूर है। जहां आज भी बिजली नही पहुंच पाई है वहीं पानी के नाम पर कई ग्रामों में हैण्डपंप न होने के कारण ग्रामीणों को नदी का पानी पीना पड़ता है। इन क्षेत्रों में सड़क की व्यवस्था न होने के कारण इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को काफी तकलीफ उठाकर आवागमन करना पड़ता है।
कभी-कभी तो ग्रामीणों की समस्या उस समय और बढ़ जाती है जब उनके घर में किसी सदस्य की तबियत बिगड़ जाती है। ऐसी हालत में ग्रामीण पीड़ित को लेकर समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते हंै। जिसका अंत इन ग्रामीणों के सामने बहुत दु:ख भरा होता है।
पहाड़ हंसवाही निवासी मुन्ना सिंह का कहना है कि उन्हें आज भी खुद को आदिम जमाने में जीने जैसा लगता है। एक तरफ छ.ग. सरकार प्रदेश को विकास की ओर ले जाने की बात करती है मगर सच्चाई अभी भी कहीं न कहीं छिपी हुई है। ग्रामीणों ने एक सुर में नेताओं के ऊपर आरोप लगाते हुये बताया कि जब-जब कोई चुनाव आता है तब-तब उन्हें विकास का झूठा आश्वासन देकर नेता गायब हो जाते हैं और उसके बाद यहां पलट कर कोई देखने नही आता।
जिले में वनांचल क्षेत्र हैं जहां आज भी ऐसे कई ग्रामीण क्षेत्र है जहां रोजमर्रा की मूलभूत सुविधाओं से ग्रामीण अछूता है। केल्हारी क्षेत्र के जंगलों में बसा ग्राम देउरा, शिवपुर, चनवारीडांड, दहियाडांड, बुड़वाडांड सहित दर्जनों ऐसे ग्राम हैं जहां पर रहने वाले ग्रामीणों को आज भी बिजली पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। अगर बात करे इन ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले रहवासियो की तो इनके रोजमर्रा के काम में आने वाली वस्तुओं को खरीदने के लिये कई पहाड़ों एवं नदियों को पार कर जंगल के रास्ते पैदल चलकर शहर आना पड़ता है।
इन वनांचल क्षेत्र में बसे शिवपुर चनवारीडांड के साथ ऐसे और भी कई ग्राम है जहां छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आबंटित किये जाने वाले राशन को लेने के लिये पहाड़ हंसवाही आना पड़ता है। साधन न होने के कारण ग्रामीण कई पहाड़ और नदियां पार कर पैदल अपना राशन लेने आते हंै। कभी-कभी तो इनके सामने संकट उस समय खड़ा हो जाती है जब सुबह से चलकर कई घण्टों के बाद राशन दुकान तक पहुंच पाते हैं। वापसी लेट होने के वजह से उन्हें पहाड़ हसवाही गांव में ही किसी परिचित के यहां रूककर रात बिताना पड़ता है। और फिर सुबह होने के पश्चात अपना राशन लेकर अपने गांव के लिये निकलते हैं।
ग्रामीणों ने अपनी व्यथा बताते हुये कहा कि हम लोगों के गांव में सड़क बिजली पानी की व्यवस्था न होने के कारण कई प्रकार की कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इस वनांचल क्षेत्र में ऐसे कई गांव हैं जहां के निवासी रात के समय अंधेरे में रहने को मजबूर है। जहां आज भी बिजली नही पहुंच पाई है वहीं पानी के नाम पर कई ग्रामों में हैण्डपंप न होने के कारण ग्रामीणों को नदी का पानी पीना पड़ता है। इन क्षेत्रों में सड़क की व्यवस्था न होने के कारण इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को काफी तकलीफ उठाकर आवागमन करना पड़ता है।
कभी-कभी तो ग्रामीणों की समस्या उस समय और बढ़ जाती है जब उनके घर में किसी सदस्य की तबियत बिगड़ जाती है। ऐसी हालत में ग्रामीण पीड़ित को लेकर समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते हंै। जिसका अंत इन ग्रामीणों के सामने बहुत दु:ख भरा होता है।
पहाड़ हंसवाही निवासी मुन्ना सिंह का कहना है कि उन्हें आज भी खुद को आदिम जमाने में जीने जैसा लगता है। एक तरफ छ.ग. सरकार प्रदेश को विकास की ओर ले जाने की बात करती है मगर सच्चाई अभी भी कहीं न कहीं छिपी हुई है। ग्रामीणों ने एक सुर में नेताओं के ऊपर आरोप लगाते हुये बताया कि जब-जब कोई चुनाव आता है तब-तब उन्हें विकास का झूठा आश्वासन देकर नेता गायब हो जाते हैं और उसके बाद यहां पलट कर कोई देखने नही आता।

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