टैक्स से जुड़ी मुकदमेबाजी में कमी के लिए प्रमुख कदम उठाए गए

ROHIT SHARMA :- करदाताओं की लंबित शिकायतों में कमी लाने एवं कर मसलों से जुड़ी मुकदमेबाजी को न्यूनतम स्तर पर लाने और ‘कारोबार में सुगमता’ सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने विभिन्न स्तरों पर यथा अपीलीय ट्रिब्यूनल, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में निम्नलिखित मामलों में विभागीय अपील दाखिल करने के लिए प्रारंभिक मौद्रिक सीमा बढ़ा दी हैः

क्रम संख्याअपील फोरमअपील दाखिल करने की वर्तमान सीमा
(रुपये में)
बढ़ाई गई सीमा
(रुपये में)
1.आईटीएटी/सीईएसटीएटी10 लाख20 लाख
2.उच्च न्यायालय20 लाख50 लाख
3.उच्चतम न्यायालय25 लाखकरोड़

यह प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों ही करों के मुकदमेबाजी प्रबंधन की दिशा में एक प्रमुख कदम है, क्योंकि इससे कम राशि वाले मुकदमों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आएगी और इसके साथ ही विभाग को ज्यादा राशि वाले मुकदमों पर अपना ध्यान केन्द्रित करने में मदद मिलेगी।
सीबीडीटी के मामले में विभाग द्वारा आईटीएटी में दाखिल किए गए कुल मुकदमों में से 34 प्रतिशत मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे। इसी तरह उच्च न्यायालयों के मामले में 48 प्रतिशत मुकदमों को और उच्चतम न्यायालय के मामले में 54 प्रतिशत मुकदमों को वापस ले लिया जाएगा। अतः विभाग की ओर से मुकदमेबाजी में कुल मिलाकर 41 प्रतिशत की कमी आएगी। हालांकि, यह उन मुकदमों में लागू नहीं होगा, जिनमें कानूनी मसला काफी व्यापक है।
इसी तरह सीबीआईसी के मामले में विभाग द्वारा सीईएसटीएटी में दाखिल किए गए कुल मुकदमों में से 16 प्रतिशत मुकदमों को वापस ले लिया जाएगा। इसी तरह उच्च न्यायालयों के मामले में 22 प्रतिशत मुकदमों को और उच्चतम न्यायालय के मामले में 21 प्रतिशत मुकदमों को वापस ले लिया जाएगा। अतः विभाग की ओर से मुकदमेबाजी में कुल मिलाकर 18 प्रतिशत की कमी आएगी। हालांकि, यह उन मुकदमों में लागू नहीं होगा, जिनमें कानूनी मसला काफी व्यापक है।
इस कदम की बदौलत विभाग की ओर से भावी मुकदमेबाजी प्रवाह में भी कमी आएगी।

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